दुनिया बदलेगी.
कैसे बैठे उस चौपाल पर,बतियाँ रहे हो.
नहीं बदलेगी ये दुनिया,सब को बोल रहे हो
आखिर तुमने किया ही क्या है
इस दुनिया के लिए
जो इसके ना बदलने कि बात बता रहे हो
हर बार सभा बुला-बुला
भष्ट्राचार का राग अलाप रहे हो
कभी आतंक तो कभी आतंकबादी का नाम ले
अपनी कमजोरी छुपा रहे हो !
सरकार तो सरकार है
पर क्या तुम
अपने आस-पास के
माहौल को बदल रहे हो ?
क्या कहा नहीं!
पर क्यों?
भाई हमें स्कूल जाना है ,
हमें दफ्तर जाना है ,
हमें घर के काम से छुट्टी नहीं
क्या बदलेगी ये दुनिया,
बदलने को हम ही मिले?
हाँ भाई दुनिया बदलने को
सिर्फ आप ही नहीं बने ?
फिर क्यों बैठे उस चौपाल पे
ये राग सुना रहे हो ?
नहीं बदलेगी ये दुनिया
सब को बाता रहे हो !
दुनिया बदलने का काम,ये नहीं कि
पहले हम नेता बने ,फिर सोचे कि दुनिया बदलनी है .
बल्कि ये सोचे कि
पहले दुनिया बदले,फिर नेता हम बने .
बदलाब हर छोटी- छोटी चीजों से आता है,
अगर तुम स्कूल जा रहे हो
तो आपने सच्चे छात्र होने का परिचय दो,
दफ्तर में जा घूसखोरी से तौबा करो ,
घर में प्रेम बना
एक अच्छे समाज का निर्माण करो,
खुद में संतुष्ट रहो और समाज को
खुशहाली का पैगाम दो.
इस तरह हर व्यक्ति की
अपने काम के प्रति आस्था ही
दुनिया बदले सकती है
ना कोई सरकार और ना कोई फोर्स हमें बचा सकती है.
इसलिये मैं कहती हूँ
ये दुनिया बदलेगी,बदल के देखो
ये हँसेगी,हँसा के देखो
पर पहले उस चौपाल से ,
कर्म के मैदान में उतर के तो देखो.
नहीं बदलेगी ये दुनिया,सब को बोल रहे हो
आखिर तुमने किया ही क्या है
इस दुनिया के लिए
जो इसके ना बदलने कि बात बता रहे हो
हर बार सभा बुला-बुला
भष्ट्राचार का राग अलाप रहे हो
कभी आतंक तो कभी आतंकबादी का नाम ले
अपनी कमजोरी छुपा रहे हो !
सरकार तो सरकार है
पर क्या तुम
अपने आस-पास के
माहौल को बदल रहे हो ?
क्या कहा नहीं!
पर क्यों?
भाई हमें स्कूल जाना है ,
हमें दफ्तर जाना है ,
हमें घर के काम से छुट्टी नहीं
क्या बदलेगी ये दुनिया,
बदलने को हम ही मिले?
हाँ भाई दुनिया बदलने को
सिर्फ आप ही नहीं बने ?
फिर क्यों बैठे उस चौपाल पे
ये राग सुना रहे हो ?
नहीं बदलेगी ये दुनिया
सब को बाता रहे हो !
दुनिया बदलने का काम,ये नहीं कि
पहले हम नेता बने ,फिर सोचे कि दुनिया बदलनी है .
बल्कि ये सोचे कि
पहले दुनिया बदले,फिर नेता हम बने .
बदलाब हर छोटी- छोटी चीजों से आता है,
अगर तुम स्कूल जा रहे हो
तो आपने सच्चे छात्र होने का परिचय दो,
दफ्तर में जा घूसखोरी से तौबा करो ,
घर में प्रेम बना
एक अच्छे समाज का निर्माण करो,
खुद में संतुष्ट रहो और समाज को
खुशहाली का पैगाम दो.
इस तरह हर व्यक्ति की
अपने काम के प्रति आस्था ही
दुनिया बदले सकती है
ना कोई सरकार और ना कोई फोर्स हमें बचा सकती है.
इसलिये मैं कहती हूँ
ये दुनिया बदलेगी,बदल के देखो
ये हँसेगी,हँसा के देखो
पर पहले उस चौपाल से ,
कर्म के मैदान में उतर के तो देखो.
सरकार तो सरकार है
जवाब देंहटाएंपर क्या तुम
अपने आस-पास के
माहौल को बदल रहे हो ?
sarkar to sarkari ho gayi he
ab humari jimmedari ho gayi he
hum kar anpne swaym ke prayas
chod den is bhrasht sarkar ki aas
laye har din har ghar me bhai chara
tabhi hoga vishwa guru bharat humara
aao hum banayen apne bharat ka bhavishya
kyun ki hum hain bharat bhavishya
nice blog and nice writing too...
जवाब देंहटाएंkeep writing.....
regards....
http://i555.blogspot.com/
Kavita ka Aashay sahi hai prtyek nagrik apna Kartavya samjhey,sarkar chahey jis dal ki ho desh to Apna hai.
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