शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2012

जलने दो 
 जलने दो हमें कि 
जल जाने में भी एक मजा है | 
मिट जाने दो हमें कि 
हमारे मिटने के भी कई वजह है |

मत रोको हमें कि 
आज हमें बहुत कुछ है करना ?
जमीन से आसमान का मिलन है करना! 
हर बिछड़े को है मिलवाना !

जाने दो हमें कि 
मत बांधों हमें किसी बंधन में कभी क्योंकि
हम खुद के न होके भी सबके हो लिए |

खुश रहे सभी, हमारी तो यही चाहत है |
तो क्या हुआ कि हम जल ही गए ,
विपरीत परिस्थिति की लपटों से  
जो अगर रौशन है ये जहाँ,
तो जल जाने दो हमें कि 
ऐसे जल जाने में भी एक अलग मजा है |

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